शनिवार, 6 जून 2015

न डिग्री-न पैसा, केवल 50 रु. लेकर घर से निकला यह शख्स, अब है अरबपति





 सपने बड़े थे। लेकिन न तो डिग्री थी और न ही पैसा। मगर, कुछ करना था तो 50 रुपए जेब में डालकर घर से निकल पड़े। यह थे केरल के पालघाट में एक कृषि परिवार में जन्मे पीएनसी मेनन। मेनन के पिता केरल में छोटे से कारोबारी थे। वह जब दस साल के थे, तभी उनके पिता की मौत हो गई। इसके बाद उनके परिवार में बिजनेस संभालने वाला कोई नहीं था, क्योंकि मेनन के दादाजी अनपढ़ थे। उनकी मां भी ज्यादातर बीमार रहा करती थीं। यही वजह है कि वह बमुश्किल स्कूली शिक्षा ही ग्रहण कर सके। आज वह करोड़ों की संपत्ति के मालिक हैं। जब वह पहली बार बिजनेस के लिए घर से निकले, तब उनकी जेब में महज 50 रुपए थे। हम आपको बता रहे हैं कि किस तरह मेनन ने ये कामयाबी हासिल की....।
इस तरह शुरू हुआ सफर, पहली बार सुना ओमान का नाम
पीएनसी मेनन कृषि परिवार से थे। बचपन में ही तमाम दिक्कतें झेलने के कारण वह स्नातक नहीं कर सके। उनकी प्रारंभिक शिक्षा त्रिशूर में हुई थी। साल 1976 में उनकी मुलाकात ओमान से आए ब्रिगेडियर सुलेमान अल अदावी से हुई। ब्रिगेडियर उन दिनों भारत मछली पकड़ने वाली बोट खरीदने आए थे। सुलेमान ने मेनन को उनके साथ व्यवसाय शुरू करने का आश्वासन देते हुए ओमान आने का न्योता दिया। ये पहली बार था, जब मेनन ने ओमान का नाम सुना था। घर जाकर उन्होंने ओमान को ग्लोब पर खोजा। बाद में उन्होंने सुल्तान का आमंत्रण स्वीकार किया। दो महीने के भीतर उन्होंने अपना पासपोर्ट बनवाया और ओमान जाने की पूरी तैयारी कर ली। ओमान जाने के समय उनके पास सिर्फ 50 रुपए ही थे, क्योंकि उस समय ओमान जाने वाले भारतीयों को 50 रुपए से ज्यादा ले जाने की इजाजत नहीं थी। ओमान जाने के समय मेनन काफी उत्साहित थे, उनके जेहन में असफलता का भय नहीं था। उन्हें अपने आप पर भरोसा था कि ओमान जाकर कुछ न कुछ काम अवश्य कर ही लेंगे।



लोगों को लगता था, अरब में है अथाह पैसा!
उस जमाने में लोग सोचते थे कि अरब के लोग पैसों की नदी में तैरते हैं। इसी तरह की बातें मेनन ने भी सुनी थीं। लेकिन जब वह ओमान पहुंचे, तो सब कुछ उल्टा लगा। जिस सुलेमान ने मेनन को व्यवसाय शुरू करने के सपने दिखाए थे, दरअसल में वह भी एक मध्यमवर्गीय परिवार से ताल्लुक रखता था। उनके पास व्यवसाय शुरू करने के लिए अधिक पैसे नहीं थे। बाद में दोनों ने मिलकर वहां के एक बैंक से शुरुआत में 3000 रियाल का कर्ज लिया। मेनन ने सुल्तान के साथ मिलकर इंटीरियर डेकोरेशन का काम शुरू किया। शुरू-शुरू में उन्हें काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा। पांच चीजें उन्हें कभी-कभी ज्यादा निराश करती थीं। व्यवसायिक शिक्षा का अभाव, आर्थिक रूप से कमजोर, नए भौगोलिक क्षेत्र में व्यवसाय शुरू करना, पहचान की कमी और भाषा की जानकारी। लेकिन उन्होंने अपना हौसला नहीं खोया। मेहनत करना उनकी खूबी थी और दिन-रात मेहनत करने लगे।
पांच साल की मेहनत के बाद ओमान के टॉप चार व्यवसायियों में हुई गिनती
पांच साल की कड़ी मेहनत के बाद साल 1984 में मेनन ओमान में टॉप चार व्यवसायियों में गिने जाने लगे। 1986-87 में उनकी 'द सर्विस एंड ट्रेड ग्रुप ऑफ कंपनीज' ओमान की टॉप परफॉर्मिंग कंपनियों में शामिल हो गई। यह कंपनी आज भी ओमान के बाजार में नंबर वन पर है। साथ ही, मेनन 2007-08 में फोर्ब्स द्वारा जारी की गई बिलिनेयर की फेहरिस्त में भी शामिल रह चुके हैं। मेनन की कुल संपत्ति 1.25 बिलियन डॉलर आंकी गई।

भारत में भी शुरू किया कारोबार
मेनन ने भारत में अपने व्यवसाय की शुरुआत बेंगलुरु से की। भारत में उन्होंने अपनी पत्नी शोभा के नाम पर 'शोभा डेवलपर्स' की शुरुआत की। इस कंपनी का टर्नओवर करीब 1500 करोड़ रुपए है। भारत में शोभा डेवलपर्स के प्रोजेक्ट्स 12 राज्यों में चल रहे हैं। शोभा डेवलपर्स 2006 में बांबे शेयर बाजार में सूचीबद्ध हुई। भारत और खाडी देशों में कंपनी के करीब 2,800 कर्मचारी हैं। मेनन शोभा रीयल्टी कंपनी के मानद अध्यक्ष हैं। मेनन ने बताया कि कंपनी भारत और खाड़ी देशों में अपना परिचालन बढाने की योजना बना रही है।

जनकल्याण के कामों से भी जुड़े हैं मेनन
मेनन जनकल्याण के कामों से भी जुड़े हुए हैं। केरल के किजाकेंचेरी में उन्होंने अंतरराष्ट्रीय स्कूल, सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल और फाइव स्टार वृद्धा आश्रम का निर्माण करवाया है। उनके हॉस्पिटल में पिछले सात सालों में लगभग 3000 से ज्यादा गरीबी रेखा से नीचे रह रहे परिवारों के स्वास्थ्य का चेकअप, उनके बच्चों की पढ़ाई और वृद्धों को सहारा दिया गया। उनकी कंपनी द्वारा सीएसआर प्रोजेक्ट के अंतर्गत लगभग 2500 गरीब परिवारों को एडॉप्ट किया गया। जिन्हें मुफ्त खाना, आवास, शिक्षा, लड़कियों की शादी एवं बुजुर्गों के लिए वृद्धा आवास की सुविधाएं दी गई हैं।
भारत में खोलेंगे शिक्षण संस्थाएं
मेनन ओमान और भारत में शिक्षण संस्थाएं खोलने की योजना बना रहे हैं। उनका मानना है, जब आप ढेर सारी दौलत कमा लेते हैं, तो आपको सारा पैसा अपने परिवार पर ही खर्च करना नहीं करना चाहिए बल्कि इसका बड़ा हिस्सा समाज की भलाई में लगाना चाहिए। वह इसे परमार्थ कार्य नहीं, बल्कि समाज के प्रति जबावदेही मानते हैं।




http://money.bhaskar.com/news-hf/MON-PERS-PFPR-success-story-of-billionaire-pnc-menon-5013172-PHO.html

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